उपन्यास-गोदान-मुंशी प्रेमचंद

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गोदान--मुंशी प्रेमचंद इधर सिल्लो की साँस टँगी हुई थी, मानो सिर पर तलवार लटक रही हो। सोना की दृष्टि में सबसे बड़ा पाप किसी पुरुष का पर-स्त्री और स्त्री का पर-पुरुष ...

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